...

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सरोकार
बात सिर्फ तराशने के वक़्त तक का हे,
बीच मे कालिख देखकर मोड़ने की
और वक़्त कि कसोटी पर पिसने तक
साथ रहने के सिलसिले तक का है;
बाकी तो निखरने के बाद लोग हे ही
अपने झूठे सरोकार दिखाने के लिए!