...

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बड़ी लम्बी गुफ्तगू करनी है, तुम आना एक पूरी ज़िंदगी ले कर....
शिकवें भी हैं तुमसे और,
किस्से भी हैं कुछ वही पुराने,
धड़कन भी कुछ शांत पड़ी है,
आ जाओ कभी तुम इसे चुराने,

बदले से दिन रात हैं अब,
बिखरे से मेरे जज़्बात हैं अब,
रूठे रूठे हैं खुद से हीं,
आ जाओ ना तुम मुझे मनाने,

आओ तो कुछ नयी बात बताएं,
कुछ किस्से तुमसे जुदाई के,
बाँटें थोड़ा सुकून भी,
तुमसे अपनी तन्हाई के,

तुम आना तो फुर्सत में आना,
जाने की हर ज़िद्द भुला कर,
शुरूआती दिनों में थी जो भी,
चेहरे पे वही ताज़गी ले कर,

बड़ी लम्बी गुफ्तगू करनी है,
तुम आना एक पूरी ज़िंदगी ले कर!
कई दिन गुज़र गए तुम्हें सोचते,
कई रातें बीती तारे गिन गिन,

तुम आओ तो तुम्हें बताये सब,
दिन कैसे कैसे बिताये तुम बिन,
तुम चले गए पर दिल मेरा,
यादों से तेरी रहा आबाद,

सुनाये तुम्हें हर वो कविता अपनी,
कितना कुछ लिखा है तेरे बाद,
दिल को कैसे समझाएं जिसे,
खुद में सिमट के सोना भी है,

ख्वाइशें हँसने की है और,
तुझसे लिपट के रोना भी है,
खैर इसे तुम हीं समझा देना,
शायद तेरी ये सुन भी ले,

तुम कुछ नहीं एक काम करना,
थोड़े से फुर्सत में आना,
खुशियां अब भी अपनी
तुम्हारे नाम कर देंगे,

तुमसे तुम्हारी नाराज़गी ले कर,
बड़ी लम्बी गुफ्तगू करनी है,
तुम आना एक पूरी ज़िंदगी ले कर!
© chayansays...