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जिंदगी का सफर...
बढ़ो जब मंज़िल की तरफ़ तो पीछे मुड़कर न देखना,
रह जाती है कुछ यादें भूल न जाना उनको समेटना।

अपने सफ़र की ओर बढ़ते जाना एक विश्वास से,
रास्ते में मिलेंगे नए साथी और क़िस्से कुछ ख़ास से।

आनंद भी खूब उठाना ज़िंदगी जीने के अंदाज से,
गीत भी गुनगुनाना जो मिलते हैं तुम्हारे मिज़ाज से।

छाप तुम अपनी छोड़ना खुद के अच्छे व्यवहार से,
खुद को तुम जोड़े रखना ईश्वर के सच्चे दरबार से।

जिंदगी एक सफ़र ही तो है जाने कहाँ ले जायेगी,
चलते चलते इस तरह जीवन की यात्रा पूरी हो जायेगी।

जिंदगी के प्यारे से सफ़र को यादों में बसाये रखना,
उतार चढ़ाव के लम्हों को जीवन की सीख बनाये रखना।।
{सम्राट}