तन्हाई में
आलम पूछो ना, मेरा तुम तन्हाई में
मर मर कर जी रहा हूँ तन्हाई में
महफ़िलों - बाज़ारों में भी तू नहीं दिखती
भीड़ में भी लगता, हूँ तन्हाई में
शबिस्तां में भी अकेला, साथी केवल तकिया
नींदें भी, उड़ी मेरी तो तन्हाई में
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मर मर कर जी रहा हूँ तन्हाई में
महफ़िलों - बाज़ारों में भी तू नहीं दिखती
भीड़ में भी लगता, हूँ तन्हाई में
शबिस्तां में भी अकेला, साथी केवल तकिया
नींदें भी, उड़ी मेरी तो तन्हाई में
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