कोरोना का कहर और बन्द पिंजरे की दास्तां
बंद पिंजरा अपनी दास्तां कह गया
हैरान हूँ ये देखकर कि वक़्त कुछ ऐसे पलट गया
पिंजरे में बंद कर देने वाला इंसान
आज खुद पिंजरे में बंद हो गया
हैरान हूँ ये देखकर कि वक़्त कुछ ऐसे पलट गया
जिस प्रकृति पर किये थे हमने हर तरफ से वार
कभी पेड़ काटकर तो कभी दूषित किया बार बार
मानो आज एक एक से वो बदला लेने को हो तैयार
वो मौसम की ठंडी हवा
न कोई शोर न...
हैरान हूँ ये देखकर कि वक़्त कुछ ऐसे पलट गया
पिंजरे में बंद कर देने वाला इंसान
आज खुद पिंजरे में बंद हो गया
हैरान हूँ ये देखकर कि वक़्त कुछ ऐसे पलट गया
जिस प्रकृति पर किये थे हमने हर तरफ से वार
कभी पेड़ काटकर तो कभी दूषित किया बार बार
मानो आज एक एक से वो बदला लेने को हो तैयार
वो मौसम की ठंडी हवा
न कोई शोर न...