दिल बेताब रहता है।
रहूँ हरदम तेरी कुर्ब़त में बस यही ख़्वाब रहता है।
जुदा रहता हूँ मैं तुझसे तो दिल बेताब रहता है।
फ़लक से कोई दिल्लगी नहीं, खुद से ही गिला है,
रश्क-ए-क़मर नहीं, दिल में भी महताब रहता...
जुदा रहता हूँ मैं तुझसे तो दिल बेताब रहता है।
फ़लक से कोई दिल्लगी नहीं, खुद से ही गिला है,
रश्क-ए-क़मर नहीं, दिल में भी महताब रहता...