भ्रम
देखती हु दुनिया को
करीब से
कितने लोग जुज़ रहे
दर्द ए नसीब से
डर डर बैठ गई
जो जिम्मेदारी सर
पे...
करीब से
कितने लोग जुज़ रहे
दर्द ए नसीब से
डर डर बैठ गई
जो जिम्मेदारी सर
पे...