"वक़्त गर साथ देता..." ✍️✍️✍️
"वक़्त गर साथ देता तो हम भी बादशाह होते,
इस ज़हाँ में ऐसी ढपली बजाते लोग देखे हैं ।
दिन भर सजाते हैं पलकों पर तमाम ख़्वाब...
और साँझ ढले चादर में समाते लोग देखे हैं ।।
🍂
है नहीं माद्दा ज़िगर में ज़रा सी भी मेहनत का,
बाज़ुओं पर भी भरोसा नहीं ख़ुद की उन्हें साहिब...
पर छिपी है लक़ीरों में हाथों की अभी क़ायनात सारी,
बस ऐसे ही झूठे अरमाँ सजाते लोग देखे हैं ।।
🍂
दे...
इस ज़हाँ में ऐसी ढपली बजाते लोग देखे हैं ।
दिन भर सजाते हैं पलकों पर तमाम ख़्वाब...
और साँझ ढले चादर में समाते लोग देखे हैं ।।
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है नहीं माद्दा ज़िगर में ज़रा सी भी मेहनत का,
बाज़ुओं पर भी भरोसा नहीं ख़ुद की उन्हें साहिब...
पर छिपी है लक़ीरों में हाथों की अभी क़ायनात सारी,
बस ऐसे ही झूठे अरमाँ सजाते लोग देखे हैं ।।
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दे...