...

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बरसने दे बादल
बरसने दे बादल
भीगने दे आंखे
उतार दे बोझ
रख दे सिरहाने
लड़ लिया बहुत
दिन के उजाले में
है रात अब यहां
उतार दे नकाब
वो सहमा सा चेहरा
अब कोई नही देखेगा
खुद को ही गले लगा ले
अपने आंसू खुद पौंछ ले
जब तक न हो जरूरत तेरी
कोई हाल नहीं पूछेगा

© savii