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वीरता:सत्य की विजय हेतु विजिगिषा
#वीर-पुत्र
है हिम्मत तुम में तुम सूर्य पुत्र
चल दो चल दो तुम वीर पुत्र
रख कर मन मे तुम धीर पुत्र
धारा लख कायर बढ़ते धीर
वीर धारा विरुद्ध बढ़ते और
नवल इतिहास गढ़ते अभिमन्यु
छल चक्रव्यूह में खेत रहा पर
मृत्यु में भी यश कीर्ति ग‌ढ़ा पांडु
पुत्र यदि आशा अवलंब तज देते
तब केशव किसे गीता कहते गीता
उपदेश के लिए अन्याय विरुद्ध समर
आवश्यक था अधर्म नाश के हेतु
धर्मयुद्ध आवश्यक था कालजयी
जगत को राह दिखाने के हित
गीता उपदेश आवश्यक था योग कर्म
कर्म योग है यह आत्म बोध आवश्यक था
संसार चक्र में फंसे किंकर्तव्यविमूढ़ मानव
जग को कर्तव्य ज्ञान आवश्यक था गीता आज
न होती यदि तब पराधीन हम रह जाते गीता
रहस्य से तब कैसे स्वातंत्र्य्विषा जगा मातृभूमि
हित कर्तव्य बोध करा पाते धर्म सत्य स्थापन
हेतु समर आवश्यक है पर इतना बस अवश्य
स्मरण रहे निज स्वार्थ साधन के हित सदैव
युद्ध अनावश्यक अहितकर है




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