मैं मिलूंगी तुम्हें...
यदि समय दुसाध्य हुआ,
और बिछड़ना अनिवार्य हुआ,
तो तुम ढूंढ़ना मुझे...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
आंगन की बिखरी चांदनी में,
चंचल हवाओं वाली यामिनी में,
मिट्टी की खुशबू में,
बारिश से भीगी सड़कों में...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
धूप में, सुनहरे किसी रूप में,
किसी पेड़ की छांव में,
किसी राहत रूपी गांव में,
तुम्हारी परछाईं में,
लोगों की अच्छाई में...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
यादों की किताबों में,
तुम्हारे पूर्ण ख़्वाबों में,
तुम्हारी कविताओं में,
तुम्हारी कल्पनाओं में...
तुम ढूंढ़ना मुझे,
मैं मिलूंगी तुम्हें...
रौशनी बिखेरते सूरज में,
तुम्हारे हृदय के धीरज में,
किसी छूटती ट्रेन की खिड़कियों में,
चाय की भांति सर्दियों में...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
चाय की प्याली में,
उत्साह से भरी किसी नई डाली में,
तालाब के किसी कमल में,
तुम्हारा आत्मविश्वास बन, तुम्हारी कलम में...
तुम ढूंढ़ना मुझे,
मैं मिलूंगी तुम्हें...
प्रेम के प्रमाण में,
तुम्हारी मधुर मुस्कान में,
सीता की अग्निपरीक्षा में,
महादेव की प्रतीक्षा में...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
मित्रता के चरम उत्कर्ष पर,
हृदय के रिश्तों के निष्कर्ष पर,
तुम ढूंढ़ना मुझे,
मैं मिलूंगी तुम्हें...
प्रेम के प्रमाण में,
तुम्हारी मधुर मुस्कान में...
© Vartika_Gupta
और बिछड़ना अनिवार्य हुआ,
तो तुम ढूंढ़ना मुझे...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
आंगन की बिखरी चांदनी में,
चंचल हवाओं वाली यामिनी में,
मिट्टी की खुशबू में,
बारिश से भीगी सड़कों में...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
धूप में, सुनहरे किसी रूप में,
किसी पेड़ की छांव में,
किसी राहत रूपी गांव में,
तुम्हारी परछाईं में,
लोगों की अच्छाई में...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
यादों की किताबों में,
तुम्हारे पूर्ण ख़्वाबों में,
तुम्हारी कविताओं में,
तुम्हारी कल्पनाओं में...
तुम ढूंढ़ना मुझे,
मैं मिलूंगी तुम्हें...
रौशनी बिखेरते सूरज में,
तुम्हारे हृदय के धीरज में,
किसी छूटती ट्रेन की खिड़कियों में,
चाय की भांति सर्दियों में...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
चाय की प्याली में,
उत्साह से भरी किसी नई डाली में,
तालाब के किसी कमल में,
तुम्हारा आत्मविश्वास बन, तुम्हारी कलम में...
तुम ढूंढ़ना मुझे,
मैं मिलूंगी तुम्हें...
प्रेम के प्रमाण में,
तुम्हारी मधुर मुस्कान में,
सीता की अग्निपरीक्षा में,
महादेव की प्रतीक्षा में...
मैं मिलूंगी तुम्हें...
मित्रता के चरम उत्कर्ष पर,
हृदय के रिश्तों के निष्कर्ष पर,
तुम ढूंढ़ना मुझे,
मैं मिलूंगी तुम्हें...
प्रेम के प्रमाण में,
तुम्हारी मधुर मुस्कान में...
© Vartika_Gupta