महफ़िल तेरे नाम की
दिल पर तेरी महफ़िल सजा बैठे थे,
लफ़्ज़ों में सिर्फ़ तेरे नाम शामिल थे!
पर ख़ास पसंद नहीं आई शायद,
वो महफ़िल तेरे नाम की...
के पैगाम-ए-रूह जान की।।
एक नया अंधेरा,
तेरे दिल में बसा था!
लोग अक्सर कह जाते है जिसे,
इश्क़ करने का
वो तेरा दूजा तरिका था।
पर महफ़िल-ए-इश्क़ को
तूने तबाह किया था।
मेरे कतरे भर से तूने,
ज़र्रा ज़र्रा इश्क़ के
पनाह का घूंट पिया था।।
कहाँ तेरा साथ थामे,
ज़िंदगी का सफर देखा था।
तुझे रूह-ए-दिल से हाथ थामे,
बंदगी का ठिकाना...
लफ़्ज़ों में सिर्फ़ तेरे नाम शामिल थे!
पर ख़ास पसंद नहीं आई शायद,
वो महफ़िल तेरे नाम की...
के पैगाम-ए-रूह जान की।।
एक नया अंधेरा,
तेरे दिल में बसा था!
लोग अक्सर कह जाते है जिसे,
इश्क़ करने का
वो तेरा दूजा तरिका था।
पर महफ़िल-ए-इश्क़ को
तूने तबाह किया था।
मेरे कतरे भर से तूने,
ज़र्रा ज़र्रा इश्क़ के
पनाह का घूंट पिया था।।
कहाँ तेरा साथ थामे,
ज़िंदगी का सफर देखा था।
तुझे रूह-ए-दिल से हाथ थामे,
बंदगी का ठिकाना...