...

1 views

वादी स्वर
मेरे जीवन की तू वादी स्वर,जिसे मैंने ही वर्ज्य कर दिया।
वादी स्वर इस जीवन का सम्पूर्ण-सम्पूर्ण हो गया,
सभी स्वर हो इस प्रेम गीत में हर प्रहर इसे मैं गाऊँ।
हर सप्तक में यह गीत चलाऊं,हर ताल से लय मिलाऊँ।
हर पट्टी से गीत गाऊँ,आरोह अवरोह को सम कर जाऊं।
हर स्वर में ठहराव लाऊं,सभी स्वरों का मेल कर जाऊं।
चले निरन्तर यह गीत मेरी सांसों में,कभी राग भैरवी न गाऊँ।
मेरे जीवन की तू वादी स्वर,अब तुझसे दूर कभी न जाऊं।
संजीव बल्लाल ३०/४/२०२४© BALLAL S