...

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मैं मोहोब्बत के गीत गाता रहा
वो सोते रहे चादर तान कर,
मैं नजरो से उन्हें उठाता रहा ।।
वो सपने संजोते रहे प्यार के,
मैं मोहोब्बत के गीत गाता रहा ।।

आंखे बहती रही भाव के बोल से,
मैं फिर भी उन्हें समझाता रहा ।।
वो समझ ना पाए मेरे रूह के अल्फाज को
मैं फिर भी उन्हें दिल से रिझाता रहा ।।

अलख उठी होगी उनके भी दिल मैं
मनोज की चाह में पुष्प मुरझाता रहा।।
आहट छू गई पुष्प दिल ए मनोज को
मनोज सावन बन बरसाता रहा।।

बातो बातो से मुलाकात और भी गहरी हो गई
कॉफी के बहाने पुष्प से नजरे मिलाता रहा ।।
वो सामने बैठे रहे नजरो का करार बनके
मनोज चाहत ए सारंग बजाता रहा ।।
© Manoj Vinod-SuthaR