...

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मामी
सबने मम्मी के बारे में कुछ लिखा,
लेकिन आज मैं किसी दूसरे व्यक्ति पर लिख रहा।

वैसे ज्यादा फर्क नहीं है; मेरी मम्मी और इस व्यक्ति में,
इतना ही फर्क है; जितना 'मम्मी' और 'मामी' इन दो शब्दों में।

लिख रहा हू मैं अपने मामी पे,
शायद ही ऐसा किसी ने किया होगा अपने सपने में।

वह जानती है मुझे बचपन से,
देखा उन्होंने मुझे हंसते रोते बहुत करीब से।

कभी मुझे पराया नहीं समझा,
उनके लिए मैं भी उनके बेटे 'जैसा।

मेरी हाथ की चाय है उनको पसंद,
जैसे मेरे लिए उनके हाथ का बनाया खाना मनपसंद।

कद में वह छोटे जरूर है,
लेकिन उनके विचार आसमान छू लेते हैं।

उनको सौंदर्यता में है बहुत दिलचस्पी,
क्या बताऊ वह है ही ऐसी हस्ती।

बस अंत में इतना ही बोलूंगा,
चिराग लेकर ढूंढने पर भी आप जैसा फरिश्ता नहीं मिलेगा।

© Rohit