...

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Deserve
डिज़र्व:-

तुम्हें याद है वो खत
तुमने लिखा था कि
तुम मेरे लायक नहीं
तुम डिज़र्व नहीं करते मुझे
और गिनाए थे कई कारण भी
जुदा होने के पीछे की वजह
मेरी खुशी की चाहत

पर आज तुम्हें सच कहूं
मैंने आज भी
संभाल रखा है वो खत
पढती हूं अक्सर ही मगर
समझ नही पाती
कि क्या थी असल वजह

हाँ तुम रोकते थे मुझे
लड़कों से बात करने से
और कह दिया
खुद को शक्की
मगर वो तुम्हारी मोहब्बत
और जलन थी
आज कोई नहीं रोकता मुझे
और इसकी वजह
उनका विश्वास नही
बल्कि बेपरवाही है

क्या फर्क पड़ता है जब मैं
जवाब नहीं देती किसी को
मगर तुम तो जैसे
आसमान सर पे उठा लेते थे
कारण पूछते थे इतनी देर का
इसे भी तुमने जुल्म कह दिया
अब कौन है जो करे
इस तरह इंतजार

मुझे फर्क नहीं पड़ता कि
क्या कहती हैं वे प्रगतिशील औरतें
तुम मेरी खुशी चाहते थे
और ये आज समझ आया
कि मेरी खुशी उन सबमें थी
जिसे तुम अपने लगाए हुए
बन्धन कहा करते थे।
एक तुम ही तो थे
जो मुझे सच में डिज़र्व करते थे।

© Vikas Purohit