दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
सदा दूर से जाने क्यों दे रहा कोई;
मन के किसी कोने में बस रहा कोई,
जाने क्यों हर पल याद कर रहा कोई।
Nisha Sheth
© All Rights Reserved
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
सदा दूर से जाने क्यों दे रहा कोई;
मन के किसी कोने में बस रहा कोई,
जाने क्यों हर पल याद कर रहा कोई।
Nisha Sheth
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