...

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ये यादें
लो पूरा हुआ अपना ये सफर
हा बीत गई वो नन्हीं सी उमर
ये यादें.... ये लम्हें......
ये यादें, ये लम्हें,ये बीते हुए पल याद बहुत आएंगे कल ।

यादों कि अलमारी में इनको सजाके रखना है
ख्वाबों की गुल्लक में इन्हें बचाके रखता है।

जब भी जीवन में मायूसियों के बादल छाएंगे,
अंजाने बोझ तले हम दब जाएंगे,
तब ये लम्हें
सूरज की किरणों से बिखर जाएंगे
सोई-सोई सी रातों में भी ये मुस्कुराएंगे|
हाँ जीवन में उम्मीदें होंगी मिलेगा नया बल,
ये यादें, ये लम्हें,ये बीते हुए पल याद बहुत आएंगे कल ।

क्या तुम्हे याद है, वो बचपन का तराना ,
राहों में गिरना, सम्हलना और फिसल जाना |
याद आएंगी अपनी, वो सारी मस्तियाँ,
गुलाबी से बादलों कि वो कश्तियाँ |
वो आपस में पिटना और पिटाना ,
जंगल के बाहर था, वो जो अपना ठिकाना |
वो एक दूजे के टिफिन के सहारे
हमने जो लम्हें थे गुजारे
वो सारे के सारे हाँ सारे वो नज़ारे
हसी-ठिठोली की बातों से भरे हुए गुब्बारे |
आज जी भर के जी लो इन्हें न मिलेंगे ये कल ,
ये यादें, ये लम्हें,ये बीते हुए पल याद बहुत आएंगे कल |

कहना तो बहुत कुछ है,
पर सब कुछ शब्दों में बयाँ कर नहीं सकता।
बीतते हुए लम्हों कि इस गाडी से अफसोस..
मैं उतर नहीं सकता।
इन लम्हों को देखने के लिए अँखियाँ तरस जाएँगी कल,
ये यादें, ये लम्हें,ये बीते हुए पल याद बहुत आएंगे कल |||
© VSAK47

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