मुझे किसी पर क्यों ए'तिबार होता नहीं
मुझे किसी पर क्यों ए'तिबार होता नहीं
किसीको देख ये दिल बेक़रार होता नहीं
तू अपने दिल पे ज़रा हाथ रखकर के बता
मुझे रुला कर तू शर्म-सार होता नहीं
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किसीको देख ये दिल बेक़रार होता नहीं
तू अपने दिल पे ज़रा हाथ रखकर के बता
मुझे रुला कर तू शर्म-सार होता नहीं
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