एहसास की तलब
दोस्त, ज़िन्दगी के इन चंद लम्हों से कुछ सुंदर तोहफ़ों की ख्वाहिश की थी,
चाह थी फ़कीरा मग्न होकर इन महकते सुनहरे जज़्बात से गुफ्तगू कर लूँ मैं,
जानता हूँ उस रब के...
चाह थी फ़कीरा मग्न होकर इन महकते सुनहरे जज़्बात से गुफ्तगू कर लूँ मैं,
जानता हूँ उस रब के...