...

18 views

जनहित की जड़ की बात - 13
जनहित की जड़ की बात - 13

रावण ने हर ली थी सीता,
पूर्ण सुरक्षित रही वाटिका !
अब रोज ही लुटे बालिका,
दुर्दैवी हो चला सलीका !!

हैवानियत की हद ना रही,
शैतानियत ही उभर रही !
चुन लेते हम छंटे हुओ को,
इतनी सी भी समझ नहीं !!

नेता के भरोसे कब तक ?
लुटती ही रहेगी अस्मत !
खम्बों की मिलीभगत है,
इसीलिये फूटी है किस्मत ?

पीड़ितों की जान जा रही,
राजनीति में जान आ रही !
सबके शासन में दुशासन,
जनता ये भी समझ न पा रही !!

चांडाल चौकड़ी जुल्म ढ़ाये,
नित नया आतंक मचाये !
सजा सालों टलती जाये,
सज्जन खड़े है शीष झुकाये !!

इक्का दुक्का सर उठाता,
सरेआम वो प्राण गंवाता !
न्याय कहीं भी मिल न पाता,
स्वांग में सिमटा रह जाता !!

राम राज आस रही ना,
हिम्मत हमरे पास रही ना !
ड़र के जीना भी क्या जीना,
कब तक खून के घूँट ही पीना !!

एक एक कर कदम उठाओ,
नेताओं पे प्रश्न बढ़ाओं !
रिमोट हाथ में है आपके,
चोर चैनलों को ठुकराओ !!

यूट्यूब पे भी चोर भरे हैं,
अनमोल समय चुरा लेते है !
शीर्षक झूठे रखने वाले,
नित नया हमें दगा देते हैं !!

रिपोर्ट करें इनकी हम,
तभी धोखे होंगे कम !
गर इनकी घुसपैठ रही,
दुखी रहेंगे हम हरदम !!

पक्ष विपक्ष परख लिये,
सभी ने धोखे ही दिये !
अपक्ष राज अब ले आयें,
अपराधी सब दूर भगायें !!

- आवेश हिन्दुस्तानी 14.10.2020
© All Rights Reserved