जनहित की जड़ की बात - 13
जनहित की जड़ की बात - 13
रावण ने हर ली थी सीता,
पूर्ण सुरक्षित रही वाटिका !
अब रोज ही लुटे बालिका,
दुर्दैवी हो चला सलीका !!
हैवानियत की हद ना रही,
शैतानियत ही उभर रही !
चुन लेते हम छंटे हुओ को,
इतनी सी भी समझ नहीं !!
नेता के भरोसे कब तक ?
लुटती ही रहेगी अस्मत !
खम्बों की मिलीभगत है,
इसीलिये फूटी है किस्मत ?
पीड़ितों की जान जा रही,
राजनीति में जान आ रही !
सबके शासन में दुशासन,
जनता ये भी समझ न पा रही !!
चांडाल चौकड़ी जुल्म ढ़ाये,
नित नया आतंक मचाये !
सजा सालों टलती जाये,
सज्जन खड़े है शीष झुकाये !!
इक्का दुक्का सर उठाता,
सरेआम वो प्राण गंवाता !
न्याय कहीं भी मिल न पाता,
स्वांग में सिमटा रह जाता !!
राम राज आस रही ना,
हिम्मत हमरे पास रही ना !
ड़र के जीना भी क्या जीना,
कब तक खून के घूँट ही पीना !!
एक एक कर कदम उठाओ,
नेताओं पे प्रश्न बढ़ाओं !
रिमोट हाथ में है आपके,
चोर चैनलों को ठुकराओ !!
यूट्यूब पे भी चोर भरे हैं,
अनमोल समय चुरा लेते है !
शीर्षक झूठे रखने वाले,
नित नया हमें दगा देते हैं !!
रिपोर्ट करें इनकी हम,
तभी धोखे होंगे कम !
गर इनकी घुसपैठ रही,
दुखी रहेंगे हम हरदम !!
पक्ष विपक्ष परख लिये,
सभी ने धोखे ही दिये !
अपक्ष राज अब ले आयें,
अपराधी सब दूर भगायें !!
- आवेश हिन्दुस्तानी 14.10.2020
© All Rights Reserved
रावण ने हर ली थी सीता,
पूर्ण सुरक्षित रही वाटिका !
अब रोज ही लुटे बालिका,
दुर्दैवी हो चला सलीका !!
हैवानियत की हद ना रही,
शैतानियत ही उभर रही !
चुन लेते हम छंटे हुओ को,
इतनी सी भी समझ नहीं !!
नेता के भरोसे कब तक ?
लुटती ही रहेगी अस्मत !
खम्बों की मिलीभगत है,
इसीलिये फूटी है किस्मत ?
पीड़ितों की जान जा रही,
राजनीति में जान आ रही !
सबके शासन में दुशासन,
जनता ये भी समझ न पा रही !!
चांडाल चौकड़ी जुल्म ढ़ाये,
नित नया आतंक मचाये !
सजा सालों टलती जाये,
सज्जन खड़े है शीष झुकाये !!
इक्का दुक्का सर उठाता,
सरेआम वो प्राण गंवाता !
न्याय कहीं भी मिल न पाता,
स्वांग में सिमटा रह जाता !!
राम राज आस रही ना,
हिम्मत हमरे पास रही ना !
ड़र के जीना भी क्या जीना,
कब तक खून के घूँट ही पीना !!
एक एक कर कदम उठाओ,
नेताओं पे प्रश्न बढ़ाओं !
रिमोट हाथ में है आपके,
चोर चैनलों को ठुकराओ !!
यूट्यूब पे भी चोर भरे हैं,
अनमोल समय चुरा लेते है !
शीर्षक झूठे रखने वाले,
नित नया हमें दगा देते हैं !!
रिपोर्ट करें इनकी हम,
तभी धोखे होंगे कम !
गर इनकी घुसपैठ रही,
दुखी रहेंगे हम हरदम !!
पक्ष विपक्ष परख लिये,
सभी ने धोखे ही दिये !
अपक्ष राज अब ले आयें,
अपराधी सब दूर भगायें !!
- आवेश हिन्दुस्तानी 14.10.2020
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