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नफ़रत
एक नफ़रत कि दीवार को तोड़ने आया था , किसी के प्यार को परखने आया था । सोचा था आग दोनों तरफ बराबर है , किसी का किस्सा तो किसी की कहानी बनने आया था । पर हमको क्या पता था आज भी हम किसी के लिए एक भुला बिसरा गीत ही है , जो अलग - अलग तरीकों से लिखा तो जा सकता है मगर कभी भी पढ़ा नहीं जा सकता ।