ऐसे ही!
होने लगें हैं दर्द मेरे जवां, ऐसे ही
रहने लगा हूँ गुमसुम खामखां, ऐसे ही
फ़ूलों से चेहरों पर बातें हैं काटों सी
चुभने लगा है ये सारा जहां, ऐसे ही
क्या कहूँ किसी से हाल...
रहने लगा हूँ गुमसुम खामखां, ऐसे ही
फ़ूलों से चेहरों पर बातें हैं काटों सी
चुभने लगा है ये सारा जहां, ऐसे ही
क्या कहूँ किसी से हाल...