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हिंद के जवाहर
कितने ही कष्ट सहे कितने ही तीक्ष्ण प्रहार हुए।
वक्त ने भी माना के कहां पैदा रोज जवाहर हुए।

वैज्ञानिक सोच मजबूत बुनियाद गढ़ी वतन की,
नतीजन कई विधा के दुनिया में हम सरदार हुए।

देशहित लोकतंत्र को सर्वथा सदा ही ऊंचा माना,
नव आज़ाद मुल्क की समस्याओं से दो चार हुए।

कुशल नेतृत्व सामंजस्य भाव व स्पष्टवादिता से,
अल्प समय में कितने देश के सपने साकार हुए।

गुणवत्ता को युगों युगों तक परीक्षा तो देनी होगी,
इम्तिहान ही तो उज्ज्वल भविष्य का आधार हुए।

अभी नहीं युगों युगों तक प्रश्नचिह्न लगाए जाएंगे,
मग़र कब सोने को जंग लगा कब हीरे बेकार हुए?

© हरविंद्र भारद्वाज 'शान'