...

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मेरी यादों में आज भी,,,
मेरी यादों में आज भी बीते गुज़रे लम्हे हैं
इक अधूरी किताब है और उसके सफहे हैं,,

मेरे नए ख्वाबों में भी चेहरा तुम्हारा है,,
मेरे बागों में भी मोहब्बत के गुंचे हैं,,

सुनो मेरी डायरी भरी है तुम्हारी यादों से
मेरी शायरी में भी तुम्हारे ही जुमले है,,

कभी मिलो मुझसे गर तो बताऊं तुम्हें,,
के अब जो बचे हैं सिर्फ तल्ख लम्हे हैं,,

कभी गर याद आए तो आओ पूरी करें,,
किताबे इश्क़ में अभी बेशुमार सफहे हैं,,।।
© Tahrim