ख़ामोशी
ख़ामोशी की भी अपनी ज़ुबान होती हैं,अक्सर ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती हैं, जो ज़ुबान कह नहीं पाती वह अक्सर ख़ामोशी कह जाती हैं,
कभी कभी ख़ामोशी की जुबां आंखे बन जाती हैं, जो दर्द दिल में हैं वह आंखे बया कर जाती हैं, कभी कभी ख़ामोशी भी बहुत कुछ कह जाती हैं,
ख़ामोशी कभी किसी का जवाब बनकर आती हैं तो कहीं बार हज़ार सवाल छोड़ जाती हैं,...
कभी कभी ख़ामोशी की जुबां आंखे बन जाती हैं, जो दर्द दिल में हैं वह आंखे बया कर जाती हैं, कभी कभी ख़ामोशी भी बहुत कुछ कह जाती हैं,
ख़ामोशी कभी किसी का जवाब बनकर आती हैं तो कहीं बार हज़ार सवाल छोड़ जाती हैं,...