...

64 views

खाई...
जिंदगी जहाँ पे ठहरी है
मज़हब की खाई गहरी है
खाई में जिन्दा लाशें हैं
लाशों की दुनिया बहरी है

वो खून है तो लाल है
है किसका ये बवाल है
इन्सानियत जब बँट गई
तब से उठा ये सवाल है

अलग अलग हैं खुदा यहाँ
हर सोच है जुदा यहाँ
हर शक्स जब बदगुमान है
किसकी लगेगी दुआ यहाँ

फिर आज पत्थर दिल है वो
पढ लिख के भी जाहिल है वो
ज़हन में तो सब साफ है
गुनाह में क्यूं शामिल है वो

फिर मच रहा क्यों शोर है
सब उंगलियां किस ओर हैं
क्या खुद में झांका है कभी
हर दिल में बैठा चोर है

©Yamini

#yamini #poetry #poet #poems #shayari #religion #politics #intolerance #fights #religious #writco