आखिर क्यूं
आखिर क्यूं
खूबसूरती और सादगी का संबंध केवल स्त्री से है पुरुष से क्यूं नहीं...
क्यूं ज़्यादातर शायरी, ग़ज़ल, कविता ,कहानी और चित्रकारी का केंद्र बिंदु
स्त्री ही होती है पुरुष क्यूं नहीं....
क्यूं आंखों, होटों, गेसुओं, चेहरे इत्यादि की तारीफ के लिए केवल स्त्री को ही चुना जाता है, पुरुष के रूप की तारीफ़ क्यूं नहीं....
ग़म और मोहब्बत के समंदर में डूबकर अक्सर शायर ही क्यूं बाहर आते हैं
शायरा क्यूं नहीं
क्यूं केवल चांद सी महबूबा होती है
चांद सा महबूब क्यूं नहीं।
© Sarika
खूबसूरती और सादगी का संबंध केवल स्त्री से है पुरुष से क्यूं नहीं...
क्यूं ज़्यादातर शायरी, ग़ज़ल, कविता ,कहानी और चित्रकारी का केंद्र बिंदु
स्त्री ही होती है पुरुष क्यूं नहीं....
क्यूं आंखों, होटों, गेसुओं, चेहरे इत्यादि की तारीफ के लिए केवल स्त्री को ही चुना जाता है, पुरुष के रूप की तारीफ़ क्यूं नहीं....
ग़म और मोहब्बत के समंदर में डूबकर अक्सर शायर ही क्यूं बाहर आते हैं
शायरा क्यूं नहीं
क्यूं केवल चांद सी महबूबा होती है
चांद सा महबूब क्यूं नहीं।
© Sarika