...

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थी....
थी, जो बहती थी, हवाओ के साथ
थी, जो चहक जाती थी चिड़ियों के साथ

थी, जो छेड़ जाती थी, मधुर धुन की तरह
थी, जो महक जाती थी, कस्तूरी की तरह

थी, जो अल्हड़ नदी का पानी थी
थी, जो बहते लहू की रवानी थी

थी, जो सूरज सी दमकती थी
थी, जो चाँद सी ठंडक रखती थी

थी, जो खुद एक पहेली सी उलझी थी
थी, जो हर सवाल का जवाब रखती थी

थी, जो मुस्कुराना चाहती थी
थी, जो सबसे अश्क़ छिपाती थी

थी, जो जिंदगी भरपूर जिया करती थी
थी, जो कल कभी " है " हुआ करती थी

© * नैna *