...

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बरसात में तुम
तुम और बारिश
जब बरसते हो
दिल भीग जाता है
प्यार भरे मधुमास में

कोयल की आवाज सा
कुहकने लगता है मन
काले बदरे देखकर

जब आंधिया सी चल रही हो
जीवन में और
तपिश झुलसा रही हो
तन, मन दोनों को

तब तुम बरसाती हो प्यार की बारिश
तमाम धूल, तमाम गर्द
और जीवन की तपिश
सब शांत होकर धुलने लगते हैं

तुम और बारिश जब भी
बरसाती हो प्यार
मन संगीत में झूमने लगता है
और गाने लगता है, मल्हार

तुम और बारिश जब भी
बरसाती हो प्यार
मन हर्षाने लगता है
हवा के साथ थिरकने लगते हैं, पैर

ठंडी फुहारों के बीच
लहर लहर, लहराती
पौधों पर लिपटी बेलों की तरह


श्रीलाल जे एच आलोरिया
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