लालसा_की_प्रतिध्वनि
#लालसा_की_प्रतिध्वनि
हृदय की अवर्णनीय लालसा में बसी,
किसी अप्राप्य चीज़ की तड़प की व्यथा;
हर धड़कन में छुपी एक अनकही सी आस,
अधूरी ख्वाहिशें, मन की अविरल गाथा।
चांदनी रात में झिलमिलाते सितारे,
मन के भीतर उठते अनगिनत सवाल;
क्यों ये प्यास कभी बुझती नहीं,
क्यों हर चाहत बन जाती है ख्याल?
पलकों के पीछे छुपे वे सपने,
जो कभी...
हृदय की अवर्णनीय लालसा में बसी,
किसी अप्राप्य चीज़ की तड़प की व्यथा;
हर धड़कन में छुपी एक अनकही सी आस,
अधूरी ख्वाहिशें, मन की अविरल गाथा।
चांदनी रात में झिलमिलाते सितारे,
मन के भीतर उठते अनगिनत सवाल;
क्यों ये प्यास कभी बुझती नहीं,
क्यों हर चाहत बन जाती है ख्याल?
पलकों के पीछे छुपे वे सपने,
जो कभी...