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स्त्री : तुम्हारा अभिनंदन हैं
चली काल से, कुछ प्रथाएँ
बंधन में उनके,
कुछ पल तुमने बिताए।
निभाती हर भूमिका खूबसूरती से,
बात वह अलग सी, क्या हैं स्त्री में!
संभालती स्वयं को, सबको,
निखारती ,छोटी- छोटी बारिकी से
हर कार्य को
स्त्री, तुम भी , अलग-अलग क्षेत्र में
आवश्यक हो !!
योगदान तुम्हारा भी, अभिनंदन हैं।
© daya_ri
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