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हे महाशक्ति!
हे महाशक्ति!!
तू कामिनी तू रणरागिणी,
कांता वनिता तू ही रमणी...
गृह की गरीमा तू वो गृहिणी...

एहसास के दर्पण की जिसे आवश्यकता नहीं,
खुद को अर्पण करूं मैं वहीं...
तू ही तिरिया तू ही जगप्रिया,
महाशक्ति तू ऐसी जिसे देवों ने भी नमन‌ किया।

तुझ जैसी न किसी में लक्ष्य प्राप्त करने‌ की व्याकुलता,
तुझ जैसी न‌ किसी के हृदय में बसती अमृत सी ममता,
हुआ कल्याण जब देखी सारे ब्रह्माण्ड ने तुझमें निर्मलता..
निगाह जब जब‌ हुई वक्र इस विश्व की किया नाश पाप पापियों का लिए रूप काली मां का...

तू ही है करता धरता,
सम्पूर्ण विश्व को तेरा शरीर मानो धारण करता,
कभी तूने ममता दी बनकर माता ,
खुद से बढ़कर जाने स्नेह दीया बहन का ,
अब बता तुझसे बेहतर भूमिका और कौन है निभा पाता?
पिता की भी कमी महसूस होने न दे जरूरत आन पड़ने पर,
डांटती है हक़ से गलती करने पर...
गुरु बनकर शिक्षित करती,
आ जाए मुश्किलें कितनी भी तू नहीं डरती,
बेटी बनकर सूने आंगन को भी चहका देती,
पिता को अपनी अटखेलियों में बहका देती...
पत्नी बनकर प्रेम, और साथ निभाती...
बच्चों पे आंच आ जाए तो दुर्गा मां ही बन जाती...

कैसे करू तेरी प्रशंसा,
तेरी काबिलियत पे कोई क्या ही करे शंका,
बहक जाती है तू खुद की परेशानियों से,
दुखों से सराबोर भी हो तो भारी पहाड़ संभाल लेती,
वो आसमां को आसमान की नज़रों से देखने की हिम्मत रखती...
दुनिया की हर जान में जान ये डाल देती!
हे स्त्री तू ही महाशक्ति!❤️✨


Happy women's day 😌
©Vanshika Chaubey....
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