...

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ना जाने कब तक
यूँ तो रिश्ते हजार होते हैं मगर इन रिश्तों में तम्हारे रिश्ते सा कुछ नहीं होता जिनसे इतना करीब हो जाए, इसीलिए तो तुम्हारे सिवा कोई और चाहिए भी नहीं होता।
जेहन में तुम्हारी बातें ज्यादा हैं या
इन आँखों में तुम्हारी तस्वीरें ज्यादा है कुछ समझ नहीं आता।
हर पल तुम्हारी जरूरत है या मेरी ख्वाहिशें तुम्हीं से तुम्हें छिन लेने की , कुछ मालूम नहीं चलता ।
इन गुज़रती रोशनी में तुम्हारी खुशबू नहीं है या ढलती शामों में तुम्हारे एहसास या फिर इन बीत जाने वाली रातों में तुम्हारी साँसों की आवाज नहीं है, कुछ पता नहीं चलता।
ना जाने कब तक यूँ ही इन पन्नों पर उतारती रहूँ मैं अपने एहसास।

बस एक लम्हा और !

© #onlymuskan