🌹🥀 ज़माना और फ़साना 🥀🌹
🌹🥀 ज़माना और फ़साना 🥀🌹
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बड़ी शातिर निगाहें है, ये जालिम इस ज़माने की,
भले हों बंद दरवाज़े, नज़ारा खोज ही लेंगी ।।
बचा कर चल ज़रा दामन,ज़माने की हवाओं से,
जलाने को तेरा दामन, शरारा खोज ही लेंगी।।
भले ही बे ज़ुबां है तू, हो चाहें बंद लब तेरे,
तेरी खामोशियों में ये, फ़साना खोज ही लेंगी।।
बड़ी शातिर निगाहें है, ये जालिम इस ज़माने की,
भले हों बंद दरवाज़े, नज़ारा खोज ही लेंगी।।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
रंजीत कौर ✍️🥀
© ranjeet prayas