अस्पताल का मेरा अनुभव
होंगेें दुनिया में, न जाने कितने अस्पताल ?
पर करें कैसे इसको परिभाषित?
शायद हर किसी के लिए,
इसकी परिभाषा,
अलग-अलग शब्दों में हो।
किसी के लिए,
हो सकता है, जीवनदायिनी,
और किसी के लिए हो सकता है,
अभिशापित।
मैंने भी इसे,
बड़े ही करीब से परखा है।
एक दिन अचानक
हो गई मेरी तबीयत बहुत ही खराब।
बेटी और पति ने,
जैसे तैसे कार में लिटाया,
अस्पताल पहुंचाया।
सारे टेस्ट किए गए, ECG हुआ,
ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने ECG में,
अत्यधिक गड़बड़ी पाकर,
तुरंत रेफर कर दिया, किसी दूसरे अस्पताल में,
क्योंकि अगले दिन था रविवार ।
रविवार तो होता है, छुट्टी का दिन।
आनन-फानन में एंबुलेंस से,
दूसरे अस्पताल गया पहुंचाया।
तुरंत मुझे कैथ लेब ले जाया गया,
जैसे तैसे आया ने मेरे कपड़े बदले।
मुझे उसे अस्पताल के कपड़े पहना दिए गए।
ANGIOGRAPHY के लिए, सभी लोग
तैयारी में जुट गए।
मुझे उस टेबल पर लिटा दिया गया,
जो भी कंगन, चूड़ी, अंगूठियां,चैन पहनी थी,
उसे निकालकर पतिदेव को दे दिया गया।
फिर न जाने सुई लेकर की गई तैयारी,
नसों...
पर करें कैसे इसको परिभाषित?
शायद हर किसी के लिए,
इसकी परिभाषा,
अलग-अलग शब्दों में हो।
किसी के लिए,
हो सकता है, जीवनदायिनी,
और किसी के लिए हो सकता है,
अभिशापित।
मैंने भी इसे,
बड़े ही करीब से परखा है।
एक दिन अचानक
हो गई मेरी तबीयत बहुत ही खराब।
बेटी और पति ने,
जैसे तैसे कार में लिटाया,
अस्पताल पहुंचाया।
सारे टेस्ट किए गए, ECG हुआ,
ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने ECG में,
अत्यधिक गड़बड़ी पाकर,
तुरंत रेफर कर दिया, किसी दूसरे अस्पताल में,
क्योंकि अगले दिन था रविवार ।
रविवार तो होता है, छुट्टी का दिन।
आनन-फानन में एंबुलेंस से,
दूसरे अस्पताल गया पहुंचाया।
तुरंत मुझे कैथ लेब ले जाया गया,
जैसे तैसे आया ने मेरे कपड़े बदले।
मुझे उसे अस्पताल के कपड़े पहना दिए गए।
ANGIOGRAPHY के लिए, सभी लोग
तैयारी में जुट गए।
मुझे उस टेबल पर लिटा दिया गया,
जो भी कंगन, चूड़ी, अंगूठियां,चैन पहनी थी,
उसे निकालकर पतिदेव को दे दिया गया।
फिर न जाने सुई लेकर की गई तैयारी,
नसों...