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नाकाम जी को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं और बधाई!
खबर सुनकर मिरे होठों को भी विस्तार है भाया
ये दिन पंद्रह दिसंबर का जनम नाकाम ने पाया

कलम जागी ये नीता की बहुत दिन से जो सोई थी
लगी लिखने तो इक चेहरा भला सा सामने आया

पुकारूं क्या उसे कह कर जो खुद नाकाम कहलाए
बहुत सोचा मगर आखिर गुरु कहना ही मनभाया

वो शायर है बड़ा अद्भुत नई शैली ग़ज़ल की है
मिले बंदर या फिर तोता सभी को साथ ले आया

भले अनजान है सूरत मगर सीरत रुहानी है
फकीरी सोच है उसकी ग़ज़ल उसका है सरमाया

दिवाना है वो ' साहिर' का पसंद उसकी बताती है
कभी ' नाकाम ' को सोचा तो ' साहिर' सामने आया

कभी मासूम सा लगता कभी वह दिलजला - सा है
कभी वो धूप सर्दी की कभी जैसे घनी छाया

नहीं मैं जानती ज्यादा कलम के उस पुजारी को
मिला उसका ये जो परिचय वो गजलों ने ही बतलाया

तभी सारे विषय उसकी कलम के दायरे में हैं
बहुत संयम से इस जीवन की हर उलझन को सुलझाया

उसूलों में पहाड़ों सा, नदी जैसा तरल भी है
मुहब्बत सादगी से है न शोहरत से वो भरमाया

हमेशा ही बहुत भाती मुझे तो इक विशेष आदत
खरी आलोचना प्यारी, परे हर झूठ सरकाया

ग़ज़ल के वास्ते ऐसी लगन मैंने नहीं देखी
ग़ज़ल का नाम सुनते ही वही' नाकाम ' याद आया

गज़ल पढ़कर लगे अक्सर लिखी मेरी कहानी है
यही है खासियत उसकी सभी के मन को लिख पाया

लगी जिसको लगन सच्ची बना डाला उसे शायर
कभी कोई हुई अड़चन सरल भाषा में समझाया

करे गलती दुबारा फिर बताने पर अगर कोई
दिला कर याद पिछला भी कड़ाई से है दुहराया

नहीं सूझा मुझे कुछ भी उसे उपहार में क्या दूं
सुमन शब्दों के अर्पित कर,ये भाव अपना है पहुंचाया

फले आशीष उस पर ये, रहे मां शारदे राजी
उमर भर के लिए यूं ही ग़ज़ल बन कर रहे साया

बहुत लंबी उमर पाये, यही है कामना मेरी
मिरे ईश्वर से ये चाहूं निरोगी दे उसे काया

जनम दिन पर बधाई का जिसे अधिकार पहला है
नमन कर लूं मैं उस मां को,वो जिसकी कोख का जाया 🙏

नीटू कुमार "नीता"
© नीटू कुमार नीता