...

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phir
इम्तिहान की यह मुश्किल घड़ी
देखते ही यूं ही गुजर जाएगा

काले बादल के अंधेरे को चीर के
फिर आशा की नई किरण छाएगा

तू क्या झुकएगा हमको करोना
हम चट्टान बनकर खड़े हैं

माना कि तू बड़ा तेज फैलता है
हमारे हौसले तुझसे भी बड़े हैं

तू लाखों के जान तो ले ल
इस धरती से जिंदगी नहीं

बंजर जमीन में हरियाली होगी
ना रहेगी गंदेगी कहिं

फिर कोयल की कुहू गूंजे गी
मोर भी नाचेगा सावन में

पिंजरे में ना कोई कैद होगा
हम उड़ेंगे खुले गगन में

फिर दिया जलेंगे दिवाली में
गुलाल उड़ेंगे होली में

एक दूसरे के आंसू पूछ कर
हम खुशियां बाटेंगे झोली में

मंदिर से ओंकार की ध्वनि भी गूंजेगा
मस्जिद से अकबर अल्लाह

स्कूल की घंटीया फिर बजेंगे
खुलेंगे बंद दरवाजे के ताला