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हे गणेश विघ्न हर्ता
हे भगवान गणेश तू ही है जो विघ्न हर्ता
तुझसे क्यों डरे वो जो है सत कार्य कर्ता
तू ही है ज्ञान,विवेक,बल का अधिकारी
डरे तुझसे सिर्फ़ वो जो है धूर्त कार्य कर्ता।

हे गणेश तू ही है एक विद्या का सागर
भगवन् तुझसे ही होता मन उजागर
तू चाहे तो हर जगह अंधकार कर दे
तू चाहे तो कर दे उजाला चांद चमकाकर।

महिमा तेरी ऐसी जो है सब को भाती
सब को दूर से पास लेकर आ जाती
और क्या गुणगान करूं तेरा हे दाता
तेरी कथा हम सबको जीना है सिखाती।

कभी कोई अक्सर तुझे मां बन भोग लगाती
तो कभी बहन बन तुझे रक्षासूत्र बांध जाती
तुझ में हर किसी को अलग-अलग रूप है दिखता
हर एक छवि तेरी सब को मनमोहक नज़र आती।
© Premyogi