नव महीने
"पत्नी के पेट पर सिर रखकर नौ महीने
जिसके आने का इंतजार किया था इस पृथ्वी पर
उसे बिना विचारे ही कह देते हैं कई बार–
तुम पैदा होते ही क्यों नहीं मर गए !
फिर जगते हैं देर रात तक और हृदय में अपने
शब्दों की फाँस लिए करवटें बदलते हैं !"
जिसके आने का इंतजार किया था इस पृथ्वी पर
उसे बिना विचारे ही कह देते हैं कई बार–
तुम पैदा होते ही क्यों नहीं मर गए !
फिर जगते हैं देर रात तक और हृदय में अपने
शब्दों की फाँस लिए करवटें बदलते हैं !"