...

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बस एक और दफा.....
चल उठ तू कदम बड़ा,
बस उठ जा तू एक और दफा,
ऊंच तो है सबकी जिंदगी में ,
जरा वक्त ही तो खराब है तेरी घड़ी में।
वक्त की खूबी भी तू जानता है,
अपनी खामी को भी पहचानता है।
खामियां अपनी सुध ले,
खूबी वक्त की अपना ले,
हाथ वक्त का थाम ले,
समय की तरह हर समय चलता रेह,
चल उठ तू कदम बड़ा,
बस उठ जा तू एक और दफा।