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हास्य-व्यंग्य काव्य / बेवकूफ गधे
हम तेरे प्यार में बेवकूफ गधे..
रेंक.. रेंक कर दिल भूनेंगे
झूक..झूककर सलाम भरेंगे
मर मरकर सांस निकालेंगे
जी जीकर पूंछ मुंडवाएंगें ,
हंस हंसकर जी हजूरी पढ़ेंगें ।

हम तेरे प्यार में बेवकूफ गधे..
रखकर हुक्म सर बालों पर
दिहाड़ी मजदूरी से गंजे बनेंगे
खून-पसीने से नंगें चलेंगे
लात-घूंसे-झापड़ से बिमार दौड़ेंगे
हट्टे-कट्टे डन्डे भी बदन से तोड़ेंगे ।

हम तेरे प्यार में बेवकूफ गधे..
शौक-शौहरत से बारात में उड़ेंगे
गली-मुहल्ले से महारानी चुराएंगे
पीठ पर बिठाकर शेर कराएंगें
अल्हड़-उज्जड़ ताने-बाने लूटेंगे
ठाठ-बाट से हंसेंगे-रोएंगे-नाचेंगे ।

हम तेरे प्यार में बेवकूफ गधे...
घिस-घिसकर बर्तन गंदा करेंगे
आटा गूंथ-गूंथकर रोटी जलाएंगे
सांझ-सवेरे खूब कपड़े फाड़ेंगे
झाड़ू-पोछें से मक़ान बिगाड़ेंगे
मेकअप से चेहरा भूत बनाएंगे ।

© -© Shekhar Kharadi
तिथि-१७/४/२०२२, मार्च