...

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खामोशियाँ....
कभी-कभी ख़ामोश रहना भी अच्छा लगता है
शब्दों का कारवां गले में रुका अच्छा लगता है

हम बेगाने थे शायद दुनियां में सभी के लिए
अब बेगाने बनकर रहना ही अच्छा लगता है

किसने समझा है मोल यहां सच्चे प्यार का
कभी-कभी तो प्यार भी एक सपना लगता है

मिटने की ख्वाहिश अब पल-पल बढ़ती जाती है
ये जीवन भी अब भंवर में फंसी नाव लगता है

गुज़र जायेंगे एक दिन हम भी उसी तरह से
जैसे जाते वक्त प्राण एक हवा का झोंका लगता है!!