...

3 views

मैं और मेरा वजूद
मैं ऐसा था नहीं
कुछ अपनों ने बनाया
कुछ परायों ने चलाया
जैसा जब चाहा मुझे जी भर के नचाया
कभी कुछ गवाया
कभी कुछ निभाया
कभी दोस्तों ने दी दगा
कभी अपनों के बोझ तले भागा
जिससे दोस्ती निभाया बदले में धोका ही पाया
कभी जो इश्क फरमाया इस्तमाल हुआ जब तक हो पाया
रिश्ते बहुत थे पर थे बस नाम के
कभी किसी ने ना जताया के थे वो काम के
किसी का जुबान बन कड़वाहट कमाया
किसी का सहारा बन खुद सहारा गवाया
जिसने जैसा चाहा परखा मुझे
जिसने जैसा चाहा घुमाया मुझे
सीधे बन नफरत कमाई
सच्चा बन झूट कमाई
दुनिया के इस खेला ने खूब नचाया
सब कुछ कमाके सब कुछ इक पल मैं गवाया
अब चुप रहता हूं अपने मैं ही रहता हूं
मिठास तो न रहा बस कड़वाहट ही बेचता हूं
कल तक जो थे मेरे
आज कोसों दूर है प्यार से परे
हालात का मारा अब जोगी सा घूमता हूं
ना उम्मीद खरीदता हूं
ना ही उम्मीद हूं बेचता
बस अपने अंदर घुट घुट के हर पल जीता हूं
किसी को नहीं बस खुदको ही पूछता हूं
क्या बन गया हूं मैं
क्या बनूंगा आगे
हूं बुरा या हूं मैं अच्छा
इसी सवाल से जूझता हूं क्यों की
मैं ऐसा था नहीं।।

© vexinkheart