ज़रूरी नहीं हैं
तुम चुपके से रखना अरमानों को अपने
किसी को बताना ज़रूरी नहीं हैं,
थोड़े ग़म भी उधार दे सकते हो हर बार
खुशियाँ लुटाना ज़रूरी नहीं हैं,
तन्हाई भी कभी तुम गुज़ारा करो सदा
महफ़िल सजाना ज़रूरी नहीं हैं,
मेरे मन को समझना हैं...
किसी को बताना ज़रूरी नहीं हैं,
थोड़े ग़म भी उधार दे सकते हो हर बार
खुशियाँ लुटाना ज़रूरी नहीं हैं,
तन्हाई भी कभी तुम गुज़ारा करो सदा
महफ़िल सजाना ज़रूरी नहीं हैं,
मेरे मन को समझना हैं...