मेरी माँ
#TributeInInk
बहुत पछताती हूँ ,जब उनका फ़ोन नहीं उठा पाती थी
जब उनके बीमार होने पर, उनके पास नहीं जा पाती थी
उस वक़्त मैं बेटी के रूप में
खुद को हारा हुआ पाती थी
कितने ओहदे पाए मैंने ,बहन, बहु, पत्नी, माँ,
गुरु, लेखक लेकिन सबसे ज्यादा हारा हुआ
मैंने बेटी को पाया है
हारा हुआ देखा मैंने, खुद को
जब जब में उनके पास नही थी
जो मेरे लिए छप्पन व्यंजन बनाती
तो मैं नखरे कर एक कौर खाती
सौ आवाजों पर नहीं उठती मैं
फिर भी प्यार से मेरा सर सहलाती
बिजली की तरह। ,अब सरपट आदेशों
की पालन करती ,नज़र आती हूँ
उस वक़्त मैं बेटी के रूप में
खुद को हारा हुआ पाती थी
...
बहुत पछताती हूँ ,जब उनका फ़ोन नहीं उठा पाती थी
जब उनके बीमार होने पर, उनके पास नहीं जा पाती थी
उस वक़्त मैं बेटी के रूप में
खुद को हारा हुआ पाती थी
कितने ओहदे पाए मैंने ,बहन, बहु, पत्नी, माँ,
गुरु, लेखक लेकिन सबसे ज्यादा हारा हुआ
मैंने बेटी को पाया है
हारा हुआ देखा मैंने, खुद को
जब जब में उनके पास नही थी
जो मेरे लिए छप्पन व्यंजन बनाती
तो मैं नखरे कर एक कौर खाती
सौ आवाजों पर नहीं उठती मैं
फिर भी प्यार से मेरा सर सहलाती
बिजली की तरह। ,अब सरपट आदेशों
की पालन करती ,नज़र आती हूँ
उस वक़्त मैं बेटी के रूप में
खुद को हारा हुआ पाती थी
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