...

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आख़िर क्यों
आख़िर क्यों
जो दिल कभी अजनबी थे
एक हो गए??
आख़िर क्यों
जो बातें कुछ पलों की होती थी
रातों तक चलने लगी??
आख़िर क्यों ???

तेरे इन्ही सवालों को
शब्दों में उतारा है मैंने
तेरे दिल की धड़कनो को
गीतों में सजाया है मैंने

तुम लगी अच्छी
हसीनो के मेले मे
तुम दर्द का मर्ज बनी
तुम रातों का शबाब बनी
तुम सुबह की मुस्कान

धीरे धीरे एक दूसरे को जाना
ठीक से पहचाना
करीब आये
दो अजनबी फिर
एक दूजे के जिस्मों मे समाये

इस तरह तेरे आख़िर क्यों से
हम एक हो गए
अब और क्या जवाब दू तेरे
सवालों का
सुन अपने दिल की धड़कन
वो गीत भी अब
धुन बन गए


© @mrblank00