...

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दिल की बेरुखी
वो खास हो रहे है ☘️या
हम आम हो रहे है🍂
हम तुम्हारे हो रहे है या
हम खुद को खो रहे है
खुद के फूल के पंख झड़ने लगे है या
काँटो भरी राहों पे हम चलने लगे है
अपने आपको उनकी सामने युं झुका लिया है या
हमने अपनी ही नज़रों में खुद को झुका लिया है
बेरुखी का आलम युं है उनका
कुछ उखड़े उखड़े मिजाज है उनके
मेरा दिल सही है ये पता है मुझे फ़िर भी
क्यों सही ठ्ठेहाराता है ये दिल तुझे फ़िर भी
फिर भी तूम नहीं हों मेरे हा
फ़िर भी तुम नहीं हो मेरे