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एक प्रश्न और एक ही उत्तर
काफी समय से एक उलझन हैं
परन्तु सवाल बिलकुल सरल हैं
दो अक्षर का नाम हैं
जिसमे समाया सम्पूर्ण ब्रम्हांड हैं
ये शब्द हैं या भावना?
ये प्रेम हैं या भक्ति ?
कही पढ़ा,ये प्रेम नहीं
अपितु प्रेम की परिभाषा हैं!
या शायद परिभाषा की पराकाष्ठा हैं!
पर प्रेम का क्या माप होता हैं?
जिसको किसी ने नहीं देखा,
उसकी क्या पराकाष्ठा होती हैं?
अगर ये भक्ति हैं तो
भक्त की क्या सीमा होती हैं?
प्रेम या भक्ति, कौन सा मार्ग श्रेठ?
जिसका कोई उदगम नहीं,
उसका अंत कहाँ?
जो मुक्ति दिलाये,
ऐसा युग कहाँ?
पाप क्या,पुण्य क्या!
जीवन मृत्यु का चक्र समाप्त!
मरा हुआ शव भी वही हैं
मारने वाला भी वही हैं!
कहते सत्य समाहित हैं उसमे,
या केवल वही सत्य हैं!
to be continued...


© weirdo