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दिल और दिमाग़
दिल और दिमाग़ मे जंग जारी हैं
पता नहीं अब कि बार किसी कि बारी है
दिल कहता है, चल छोड़ उसने जो भी किया
मगर दिमाग़ कहता है, नहीं उसने ऐसा क्यूँ किया
दिल और दिमाग़ कि इस लड़ाई मे उलझ गई हुँ मैं
नहीं समझ आता किसकी सुनु मैं
दिल कि सुनती हुँ गर,तो पता है फिर से चोट खाउंगी
और दिमाग़ कि सुनती हुँ गर,तो अकेली रह जाउंगी
दिल कहता है कि एक मौका फिर से दे उसे
मगर दिमाग़ कहता है,जिंदगी से अपनी निकल दे उसे
दिल अब भी उसकी यादों मे चूर हैं, उसे याद करने पर मजबूर है
मगर दिमाग़ उसके बारे मे सोचता हीं नहीं, कहता है वो तुझसे दूर है समझ नहीं आ रहा इस दिल और दिमाग़ कि कहा सुनी मे किसकी सुनु,...... 🤔